“समोवर चाय” 100 साल पुरानी कलकत्ता की इकलौती की दूकान

Share your love

कोलकाता के बीचो बीच एक खास जगह मौजूद है जो “महेंद्र दा की समोवर चाय की दुकान” के नाम से काफी मशहूर है। यह दूकान शहर की एकमात्र दुकान है जो “समोवर” नामक चाय को बनाती और बेचती है, पर गौर करने वाली बात तो ये है की ऐसा क्या है इस चाय में जो ये इतनी मशहूर है।

“महेंद्र दा की चाय का जादू” ऐसा क्या है ख़ास?

samovar tea making

कोलकाता जहां भारत की सबसे व्यस्त सड़के पाई जाती है, ऐसे भाग-दौड़ भरे शहर में “महेंद्र दा की समोवर चाय की दुकान” एक जगहं है जहाँ सिर्फ एक कप चाय के लिए लोग हर सुबह आना पसंद करते हैं।

माना जाता है की ये दूकान 100 साल पुरानी है जहाँ पर अभी भी पुराने तरीके से चाय बनाई जाती है और वर्तमान में दूकान के मालिक की तीसरी पीढ़ी इसे चला रही है।

लेकिन दूकान की चाय सबसे ज्यादा इसलिए प्रसिद्ध है क्यूंकि ये “समोवर” में बनाई जाती है। इसी की वजह से यह दूकान “कोलकाता की आखिरी समोवर चाय की दुकान” के नाम से जानी जाती है।

1920: समोवर टी शॉप का जन्म

100 year old tea shop samovar

Kolkata में इस Tea Shop का जन्म वर्ष 1920 में हुआ था। “समोवर चाय” की के नाम से मशहूर इस दूकान की शुरवात जुहुरी सिंह ने की थी जो कोलकाता में चाय प्रेमियों के लिए एक विशेष जगह बनाना चाहते थे।

शुरवात सिर्फ एक रोजगार, या कह लीजिये बस ऐसे ही किसी आम कारण से हुई थी पर उन्हें क्या पता था कि उनकी दूकान सदियों तक कायम रहेगा जिसको 2024 में पुरे 104 साल हो चलेंगे।

“समोवर” एक प्राचीन विशाल तांबे की केतली

samovar tea shop india kolkata

आइए अब समोवर के बारे में बात करते हैं। वैसे तो भारत में ऐसी कई सारी tea shops हैं जो कई सालों से लोगो को चाय पीला रहीं हैं, लेकिन कोलकाता की इस दूकान में एक ऐसी ख़ास बात है जो इसे औरों से अलग बनाती है।

दरअसल, अगर आप कभी भी इस दूकान पर जाएं तो आप सामने ही एक बड़ी तांबे की केतली को पाएंगे। यही वो केतली है जो इस 104 साल पुराणी महेंद्र दा की दुकान को खास बनाती है।

इस केतली की ख़ास बात ये है की ये पूरी ताम्बे से बनी है और दूकान के मालिक के अनुसार आज के समय में इस प्रकार की केतली पाना काफी मुश्किल है। किसी बड़े, जादुई बर्तन की तरह यह केतली चाय में एक अनोखा स्वाद जोड़ता है।

कैसे बनती है समोवर चाय?

samovar chay ki dukaan

दूकान के ग्राहकों का कहना है पीने में ये चाय काफी हलकी लगती हैं। हालाँकि इसके बनाने का तरीका काफी सरल है। सबसे पहले समोवार नाम की इस केतली में पानी को गर्म किया जाता है और इसी गर्म पानी में चाय, मसाला और दूध को मिलाया जाता है।

कोलकाता में समोवार में चाय बनाने की परंपरा लुप्त होती जा रही है। लेकिन महेंद्र दा की दुकान इस परंपरा को जीवित रखे हुए है. यह शहर का आखिरी स्थान है जहां आप समोवर चाय के सांस्कृतिक इतिहास का स्वाद ले सकते हैं।

समोवार चाय के लाभ

100 साल पुरानी कलकत्ता की इकलौती समोवर चाय की दूकान

तांबा मस्तिष्क और हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ाता है, इसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं और तांबे के बर्तन में 48 घंटे से अधिक समय तक पानी भरने से हानिकारक बैक्टीरिया खत्म हो सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, तांबा पाचन में सहायता करता है, कब्ज और एसिडिटी को रोकता है। और क्यूंकि समोवार नाम की ये केतली शुद्ध 100 साल पुराने ताम्बे से बानी है तो लोग इसमें उबले गर्म पानी से बानी चाय को पीना काफी गुणकारी मानते हैं।

सबसे ज्यादा ख़ास बात तो ये है की आप भी दूकान पर आकर इस चाय का आनद सिर्फ 5 रूपए में ले सकते हैं।

रूस से कोलकाता तक: समोवर चाय की यात्रा

samovar giant copper vessel

समोवर, जो एक समय रूसी घरों में आम तौर पर देखा जाता था, भारत में भी इसका उपयोग एक ज़माने में चाय बनाने के लिए किया जाता था है।

पर क्यूंकि अब ताम्बे की ये बड़ी केतली अब बाजारों में नहीं मिलती, यह महेंद्र दा की दुकान में एक खजाने की तरह है और ऐसा माना जाता है समोवर से बानी ये चाय लम्बे समय तक गर्म रहती है।

हर दिन हजारों कप परोसे जाते हैं

अपनी दूकान पर महेंद्र दा आज हर दिन एक हजार कप से ज्यादा चाय पिलाते हैं। और सबसे ख़ास बात तो ये है की इन सभी चाय को मिटटी का बर्तनो में परोसा जाता है। महेंद्र दा का एक सपना है। वह समोवर में चाय बनाने की परंपरा को जीवित रखना चाहते हैं।

उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में बच्चे भी इस विशेष चाय का आनंद लेंगे। ताकि हर कोई मिट्टी के एक छोटे से प्याले में इतिहास का स्वाद चख सके।

Sahil Dhimaan
Sahil Dhimaan

Hi, Sahil Dhimaan this side. I'm a passionate about entrepreneurship, startup, business, online marketing, innovative tech and online business growth.